
चैती छठ: सूर्य उपासना का पावन पर्व

Written by पं. महेन्द्र पाण्डेय
Vedic Astrologer & Ritual Specialist
चैती छठ पूजा क्या है?
चैती छठ सूर्य उपासना का एक प्रमुख पर्व है, जो विशेष रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। यह पर्व चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को पड़ता है, इसलिए इसे 'चैती छठ' कहा जाता है। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा करके संतान सुख, स्वास्थ्य, समृद्धि और सुख-शांति की कामना की जाती है। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक एकता, पारिवारिक बंधनों और सांस्कृतिक धरोहर का भी संगम है।
चैती छठ का महत्व
छठ पर्व भारतीय संस्कृति में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। इसे सूर्य उपासना का महापर्व माना जाता है क्योंकि सूर्य को जीवन, ऊर्जा और प्रकृति का आधार माना जाता है। इस पर्व में भाग लेने वाले श्रद्धालु अपने जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने और खुशहाली, स्वास्थ्य तथा आर्थिक समृद्धि की कामना करते हैं। छठ पूजा में व्रत की कठोरता, शुद्धता और नैतिकता का विशेष ध्यान रखा जाता है।
मुख्य उद्देश्य: - भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त करना - संतान सुख एवं परिवारिक समृद्धि की कामना - स्वास्थ्य, ऊर्जा और मन की शुद्धता का संचार - सामाजिक एकता और सांस्कृतिक विरासत को कायम रखना
छठ पूजा का इतिहास
छठ पूजा का इतिहास प्राचीन काल से शुरू होता है और इसे भारतीय उपमहाद्वीप की सांस्कृतिक धरोहर का अहम हिस्सा माना जाता है। धार्मिक ग्रंथों में इसका उल्लेख मिलता है और लोककथाओं के अनुसार महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। पांडवों की पत्नी द्रौपदी ने अपने परिवार की खुशहाली हेतु इस व्रत का पालन किया था। साथ ही, सूर्य देव के अन्य प्रसिद्ध भक्त जैसे कि कर्ण और सीता की कथाएँ भी इस पूजा से जुड़ी हुई हैं।
इतिहास में, छठ पूजा ने न केवल धार्मिक महत्व रखा है, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक जीवन में भी सकारात्मक प्रभाव डालता है, जहाँ पूरे समुदाय में सहयोग और मिल-जुलकर काम करने की भावना देखने को मिलती है।
चैती छठ पूजा विधि
चैती छठ पूजा चार दिनों तक चलती है, जिसमें प्रत्येक दिन की अपनी विशिष्ट पूजा विधि होती है।
पहला दिन - नहाय खाय इस दिन व्रती गंगा या किसी अन्य पवित्र जलाशय में स्नान कर शारीरिक और मानसिक शुद्धता प्राप्त करते हैं। इस दिन पारंपरिक सात्त्विक भोजन जैसे कि कद्दू-भात, चने की दाल और स्थानीय व्यंजन तैयार किए जाते हैं।
दूसरा दिन - खरना खरना के दिन दिन भर निर्जला व्रत रखा जाता है। शाम होते ही गुड़ की खीर, रोटी, फल और अन्य पौष्टिक पदार्थों का सेवन किया जाता है। यह प्रसाद पूरे परिवार और आस-पास के समुदाय में वितरित किया जाता है।
तीसरा दिन - संध्या अर्घ्य सूर्यास्त के समय, भक्तजन नदी या तालाब के किनारे जाकर भगवान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करते हैं। इस दिन अर्घ्य में फल, ठेकुआ, नारियल, और अन्य पारंपरिक सामग्री शामिल की जाती है। भक्तों का यह आयोजन सामूहिक भावना और उत्साह को बढ़ाता है।
चौथा दिन - उषा अर्घ्य अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। इस दिन व्रत का पराभव होता है, और प्रसाद वितरण के साथ-साथ समाज में भाईचारे का संदेश फैलाया जाता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से छठ पूजा
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो छठ पूजा का आयोजन स्वास्थ्यवर्धक है। जब व्रती स्वच्छ जल में प्रवेश करते हैं और सूर्य की पहली किरणों का स्वागत करते हैं, तो इससे शरीर में विटामिन डी का स्तर बढ़ता है जो हड्डियों, मांसपेशियों और प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए लाभदायक होता है।
इसके अलावा, व्रत के दौरान किए जाने वाले ध्यान, योग और प्रकृति के संपर्क से मानसिक शांति और संतुलन बना रहता है, जो तनाव मुक्ति में सहायक सिद्ध होता है। नियमित रूप से सूर्य की रोशनी में समय बिताना जीवन शक्ति में वृद्धि का कारक माना जाता है।
भारत और विदेशों में छठ पूजा का उत्सव
छठ पूजा का उत्सव आज के समय में सीमित भौगोलिक क्षेत्रों से बाहर निकलकर सम्पूर्ण भारत और दुनिया भर में मनाया जाता है।
भारत में उत्सव: - ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों का मेल: बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड के साथ दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु जैसे महानगरों में भी छठ पूजा बड़े उत्साह के साथ मनाई जाती है। - सामूहिक आयोजन: स्थानीय समुदाय द्वारा मिलकर आयोजित समारोह, स्थानीय संस्कृति और खानपान का समृद्ध मिश्रण देखने को मिलता है।
विदेशों में उत्सव: - भारतीय प्रवासी समुदाय अमेरिका, यूके, ऑस्ट्रेलिया, मॉरीशस, फिजी, नेपाल और अन्य देशों में छठ पूजा का आयोजन करते हैं। - इन देशों में भारतीय सांस्कृतिक केंद्र और मंदिरों में विशेष आयोजनों के माध्यम से छठ पूजा की परंपरा को जारी रखा जाता है। - डिजिटल माध्यमों के जरिए लाइव स्ट्रीमिंग और ऑनलाइन चर्चा ने दूर-दराज के क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को भी इस पर्व का हिस्सा बनाया है।
2025 छठ पूजा: नई चुनौतियाँ और अवसर
2025 में छठ पूजा ने नए आयाम अपनाए हैं। आधुनिक तकनीक और डिजिटल माध्यमों के आने से अब दूरदराज के लोग भी इस पावन पर्व में भाग ले पा रहे हैं।
प्रमुख विशेषताएं: - ऑनलाइन आयोजन और लाइव स्ट्रीमिंग: कई मंदिर और सांस्कृतिक संगठन अब अपने आयोजनों को लाइव स्ट्रीम करते हैं जिससे वैश्विक दर्शक भी पूजा के महत्व को महसूस कर सकें। - पर्यावरण संरक्षण: 2025 में छठ पूजा के दौरान पर्यावरण संरक्षण को लेकर विशेष प्रयास किए जा रहे हैं, जिसमें जल संरक्षण और प्लास्टिक मुक्त पूजा सामग्रियों का उपयोग बढ़ावा दिया जा रहा है। - सामाजिक संदेश: इस वर्ष छठ पूजा में सामाजिक संदेश भी शामिल किए गए हैं, जैसे कि महिला सशक्तिकरण, शिक्षा और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता। - सांस्कृतिक विविधता का उत्सव: पारंपरिक गीत, नृत्य और लोक कथाओं के साथ-साथ आधुनिक संगीत और नाटकों का समावेश भी देखने को मिल रहा है, जो युवा वर्ग को भी आकर्षित कर रहा है।
निष्कर्ष
चैती छठ केवल एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह प्रकृति, स्वच्छता, ऊर्जा और अनुशासन का प्रतीक है। इस पर्व के माध्यम से व्यक्ति न केवल भगवान सूर्य की आराधना करता है, बल्कि अपने मन, शरीर और आत्मा को भी शुद्ध करता है। यह पर्व भारतीय संस्कृति की समृद्धता को दर्शाता है और पीढ़ियों से चली आ रही परंपराओं को आगे बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है।
2025 में छठ पूजा ने परंपरा और आधुनिकता का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया है। चाहे वह पारंपरिक आयोजन हो या डिजिटल माध्यमों से जुड़ाव, यह पर्व हम सभी को एक नई दिशा और ऊर्जा प्रदान करता है। अगर आपने कभी छठ पूजा का अनुभव नहीं किया है, तो इसे अवश्य महसूस करें और इसके द्वारा मिलने वाले सकारात्मक ऊर्जा का लाभ उठाएं।
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